बापू हम शर्मिंदा हैं, “देश के स्वतंत्रता संग्राम से भी बढ़कर है ये
क्रिकेट की जंग” – प्रो.(डॉ.) डी. पी. शर्मा “ धौलपुरी“
देश का नैतिक चरित्र आज अधपतन के मार्ग से फिसलते हुए एक ऐसी दलदल में जा फंसा है जहाँ दबे-दबे पनपते रहे महारोग राष्ट्रीय चरित्र की सम्पूर्ण काया को संदिग्ध रूप से सड़ांध में परिवर्तित करते रहे हैं/ आखिर कब तक?
कृतज्ञ राष्ट्र के वाशिंदे “बापू हम शर्मिंदा हैं “
राष्ट्रपिता आपको अपमानित करके हमने आपके त्याग और बलिदान को व्यापार के धरातल पर बेच दिया है / यूँ तो कहते हैं कि एक ठगों का भी अपना ईमान होता है, परन्तु हमने तो व्यापारिक अड्डे पर आपकी की शहादत को ‘क्रिकेट के तथाकथित नटवरलालों’ से तुलना करके ऐसा कृत्य किया है जिससे आपकी आत्मा शायद ही हमें माफ़ कर सके / परन्तु फिर भी हमने ये कृत्य यह सोच कर अंजाम तक पहुँचाया है कि “ हे राम इन्हें माफ़ करना, ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं”
व्यापार क़ी अशीमित भूख एवं निर्लज्ज महत्वाकांछाओं के भंवर में पड़कर व्यापार के अतिउत्साही लोग अपनी चरित्रवान माँ (मात्रभूमि एवं राष्ट्रपिता) क़ी तुलना नटवरलालों (क्रिकेट रूपी व्यापार के खिलाड़ी) से कर व्यापारिक पुण्य का काम कर रहे हैं, ताकि थोथी लोकप्रियता, मानसिक दिवालिया हो चुके लोगों तक पहुंचाई जा सके /
अंतर्राष्ट्रीय जुए का पार्याय कहे जाने वाले क्रिकेट के तथाकथित महानतम खिलाड़ी को हमने महात्मा गाँधी जी से भी अधिक महान घोषित कर दिया है, और हो भी क्यों न, सचिन तेंदुलकर ने उसी क्रिकेट का तथाकथित महानतम नायक बनने का गौरव हासिल किया है जो कभी हमारी गुलाम माँ का चीर हरण करने वालों का पसंदीदा खेल हुआ करता था? जलालत के दंश को झेल रहा सम्पूर्ण राष्ट्र इस मूकदर्शक तमाशे को देखकर सुख और दुःख के झंझावातों में जूझकर भी आज असहाय महसूस कर रहा है /
विशुद्ध व्यापारिक प्रतिष्पर्र्धा के धरातल पर खेले जाने वाले जुए एवं तथाकथित महानतम जुआरी , जिसका देश के लिए त्याग नगण्य ही नहीं वल्कि शून्य है, क़ी तुलना हम यदि एक ऐसे महापुरुष से करें जो देश के लिए भूखा रहा, नंगे पैर अर्ध वस्त्रों में दर दर जनता क़ी पीड़ा तो टटोलता, भागता रहा, कालजयी शारीरिक , मानसिक प्रताड्नाओं को इसलिए झेलता रहा कि आने वाला कल भारत के लिए एक नये सूरज के साथ नवीन आशाओं का ऐसा संसार लेकर आयेगा जिसमें नवीन आशाएं होंगी , नैतिकता और त्याग के साथ साथ मात्रभूमि क़ी खुशाली के लिए/ परन्तु अफ़सोस भ्रस्टाचार , अनैतिकता, अनाचार क़ी दल दल में धन्श्ता जा रहा भारत मानसिक दिवालिये पन क़ी ऐसी तस्वीर पेश करेगा ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा होगा/…..
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“भ्रस्टाचार की दलदल में! क्रिकेट के महाशतक का नंगनाच “ बापू हम शर्मिंदा हैं,
प्रो. (डॉ.) डी. पी. शर्मा “धौलपुरी“
आज फिर एक और तमाशा जिसमें पूरा देश पगलाया हुआ है कि आखिर शतकों का शतक कब लगेगा ? हद हो गयी / क्यों प्रतिद्वंद्वी क्रिकेट टीम सचिन तेंदुलकर को दया मौका देकर शतक बनवा देती, कमसे कम इस घटिया पसमंजर का अंत तो हो जायेगा / कैसा हास्यास्पद लगता है कि बुढ़ापे मैं भी सन्यास लेने की इच्छा नहीं है, और तिस पर तेंदुलकर जी यह कह रहे हैं उनका मकसद शतक नहीं वल्कि वो अपनी क्रिकेट पर ध्यान दे रहे हैं? कैसा हास्यास्पद बयान है जिसे मीडिया (भाड़े का) सुर्खियाँ बनाकर छाप रहा है / छापे भी क्यों नहीं पैसे जो लिए हैं / विज्ञापन के कमीशन का हिस्सा सबको मिलना चाहिए क्योंकि सचिन को भगवान बनाने मैं उनका भी तो योगदान है वर्ना हर कोई ऐरा गैरा धतूरा, भगवान नहीं बन जाता? ज्ञात रहे कि क्रिकेट मैं सचिन का पूरा एक मीडिया मैनेजमेंट टीम काम कर रहा है, जिसमें घटिया खेल के प्रदर्शन मैं से भी कुछ तुरुप निकालो और सचिन की तारीफी मैं कुछ न कुछ लिखो / कैसा तमाशा हो रहा है? और भारत का कमजोर मानस इस ” जुए बाजी ” खेल को समझ नहीं पा रहा / विश्व कप मैं जब सचिन महोदय २ रन पर आउट हुए तो मीडिया ने एक चापलूस भांड की तरह लिखा ” खेल भावना कोई सचिन तेंदुलकर से सीखे, आउट होते ही चले गया बिना कुछ बोले”, ये भी कोई बात हुई? वापिस पवेलियन नहीं जाते तो क्या मैदान मैं भांगड़ा करते? अतिरंजित चापलूसी की भी कोई हद होती है / यहाँ सुझाव के तौर पर ये कहा जा सकता है कि मीडिया को अपनी गरिमा का ख्याल करना चाहिए / कलम का स्वाभिमान होता है / इसे इस तरह नहीं बिकना चाहिए / क्या योगदान था सचिन का विश्व कप मैं जो सारे खिलाडी पगलाते हुए बोल रहे थे ये विश्व कप, सचिन को समर्पित है? क्यों, क्या वो देश से ऊपर हैं / आखिर गुलामी की मानसिकता को हम कब त्यागेंगे?
सचिन की लोकप्रियता गिरते ही सेकड़ों नेताओं , जो कि एक विशेष राज्य से सम्बन्ध रखते हैं एवं पत्रकारों का चूल्हा बंद हो जायेगा , क्यों कि सचिन को जो भी विज्ञापन का पैसा मिलता है, उसका एक फिक्स हिस्सा मीडिया के भांडों ( कुछ के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए) एवं राजनीत के परम शिखंडियों ( सबके लिए नहीं ) को जाता है/ अगर आपकी समझ से परे है तो हम आपको बताते हैं कि , संसद का मंच जहाँ देश के कल्याण के कानून बनाये जाते हैं , सचिन का शतक लगते ही कार्यवाही रोक कर लोग संसद के गरिमा पूर्ण पटल पर हंसी मजाक करते हुए , सारे काम रोक कर भारतीय टीम को बधाई देते हैं / आखिर क्यों? ऐसा हमने विश्व के किसी देश मैं न देखा न ही सुना / जब देश का वीर सिपाही सीमा पर देश क़ी हिफाजत के लिए शहीद होता है तो हम कभी भी संसद क़ी कार्यवाही रोककर उसको श्रद्धांजलि नहीं देते अथवा उसकी वीरगाथा का यशोगान नहीं करते, क्यों? क्योंकि वो राजनीति के इन परम शिखंडियों को कोई कमीशन नहीं देता / क्रिकेट, सचिन एवं राजनीति के दिग्गजों का एक ऐसा रिश्ता है जो आम लोगों क़ी समझ से परे है /
अभी हाल मैं थल सेना अध्यक्ष क़ी उम्र को लेकर बवाल हो रहा है / देश क़ी आबरू के लिए लड़ने वालों को इस कदर रुशवा करने के लिए हमारी केंद्र सरकार उतारू है / क्यों? क्या उनके योगदान को इस कदर भुला दिया जायेगा? सेवानिब्रत्ति क़ी उम्र को लेकर इतना विवाद क्यों? जबकि क्रिकेट मैं मीडिया लिखता है “सचिन अपनी मर्जी के मालिक हैं, वो किस मैच मैं खेलेंगे किसमें नहीं वे खुद निर्णय करते है, क्यों? अभी हाल मैं एक अख़बार ने लिखा कि सचिन के महाशतक के लिए कोई भी वरिष्ठ खिलाड़ी बलिदान देने के लिए तैयार है , ये तो ऐसा जुमला लगता है कि ‘ राहुल गाँधी ‘ के लिए कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी अपनी सीट का वलिदान देने के लिए तैयार है / किसी भी खिलाड़ी से पूछे बगैर मीडिया ( भाड़े का ) ने ऐसा कैसे लिख दिया?, इसका जवाब भी मीडिया को ही देना चाहिए / क्या भारतीय क्रिकेट किसी क़ी वन्सानुगत जागीर है ? इतनी गुलामी किस लिए? फिर इतनी गुलामी भारतीय सेना के मामले मैं क्यों नहीं? क्यों थल सेना अध्यक्ष को कहा जाता क़ी क़ी आपकी सेवा एवं देश के प्रति निष्ठा को ध्यान मैं रखते हुए हम आपके विवेक पर छोड़ते हैं, आपका हर निर्णय सरकार नैतिकता के धरातल पर मान लेगी / कर के तो देखते सच मानिये वे स्वयं स्तीफा देकर चले जाते लेकिन हमें तो जिद है, उनका अपमान करने क़ी, जो देश के लिए कुर्वानी देना चाहते हैं….
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क्रिकेट विश्व कप २०११ सेमी फ़ाइनल फिक्स था…..आई .सी. सी. ने शुरू क़ी जाँच (Sunday Times England)
क्रिकेट विश्व कप २०११ फ़ाइनल भी फिक्स था…..इसके पुख्ता सबूत, बापू हम शर्मिंदा हैं,
प्रो. (डॉ.) डी. पी. शर्मा “धौलपुरी“
आज फिर एक रहस्य से पर्दा उठने को है / आखिर सचिन को विश्व कप सेमी फ़ाइनल २०११ में ७ बार पाकिस्तानी खिलाडियों ने जीवन दान क्यों दिया? क्रिकेट में सब कुछ फिक्स है / खेल भावना के साथ खिलवाड़ का ऐसा मंजर इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया / खेल सिर्फ पैसा, मदिरा एवं हशीनाओं के शौक तक सिमट कर रह गया है ( एक रास्ट्रीय अख़बार की रिपोर्ट) / आई. सी. सी क़ी नींद अब खुली है/ यहाँ में स्पष्ठ करना चाहता हूँ कि विश्व कप २०११ का फ़ाइनल भी फिक्स था / अग्र वर्णित रिपोर्ट ” तंगी में खेल रहे हैं श्रीलंकाई चीते, बकाया हैं 50 लाख डॉलर, लेकिन..” स्पष्ठ करती है कि श्रीलंकन क्रिकेट बोर्ड उनके खिलाडियों का भुगतान आजतक नहीं कर पाया, क्यों कि उनके देश क़ी आर्थिक हालत कैसी है, किसी से छुपा नहीं है , सब जानते हैं ? उनको विश्व कप हारने के लिए इतना पैसा मिला कि उनकी सरकार, समाज और कंपनियां सब मिलकर १० साल में भी आधा भुगतान नहीं कर सकते/ भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड को सिर्फ विश्व कप का ठप्पा चाहिए था / बाकी सारा खेल विज्ञापन से कमाने का जुगाड़ है उनके पास/ उक्त खबर एक प्रमुख रास्ट्रीय अख़बार क़ी है जो इस बात को भली भांति पुष्ट करने के लिए पर्याप्त है /
(तंगी में खेल रहे हैं श्रीलंकाई चीते, बकाया हैं 50 लाख डॉलर, लेकिन..
मेलबॉर्न. श्रीलंका क्रिकेट की आर्थिक तंगी के कारण श्रीलंकाई खिलाड़ियों को भारत और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आगामी एकदिवसीय त्निकोणीय सीरीज में भी बिना भुगतान के खेलना पड़ेगा। श्रीलंकाई बोर्ड ने खिलाड़ियों को पिछले कई महीनों से उनका पूरा भुगतान नहीं किया है और आगामी सीरीज में भी स्थिति के बहुत सुधरने की संभावना नहीं है। श्रीलंकाई खिलाड़ियों को विश्व कप के बाद करीब 50 लाख डालर का भुगतान किया जाना है। फेडरेशन आफ इंटरनेशनल क्रिकेटर एसोसिएशन ने कहा है कि एसएलसी की आर्थिक स्थिति इस समय इतनी कमजोर है कि सरकार से किसी सहायता पैकेज के बिना यह काफी गंभीर हो सकती है। गौरतलब है कि खिलाड़ियों को भुगतान संबंधी मामले में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था जिसके बाद कहीं जाकर खिलाड़ियों को 20 लाख डॉलर का भुगतान किया गया था। श्रीलंकाई खिलाड़ियों को अब भी विश्व कप के दौरान दिए जाने वाले 23 लाख डॉलर के अलावा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले जाने वाले मैंचों की फीस का भुगतान किया जाना बाकी है। श्रीलंका टीम के कप्तान माहेला जयवर्धने ने हालांकि उम्मीद जताई है कि टीम को उनकी बकाया राशि का जल्द ही भुगतान कर दिया जाएगा। त्निकोणीय सीरीज से पूर्व गत रविवार को जयवर्धने ने कहा था कि कई खिलाडी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और इसलिए जरूरी है कि सभी को समय पर भुगतान कर दिया जाए ताकि वह अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकें। फीका के मुख्य कार्यकारी टिम मे ने भी कहा है कि अगर एसएलसी की स्थिति में सुधार नहीं आता है तो इसका देश में क्रिकेट की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।)
अब आप स्वयं सोचिये कि विश्व कप फ़ाइनल २०११ में श्रीलंका ने शुरु में ये दिखा दिया था कि वे विश्व कप चैम्पियन बनने का माद्दा रखते हैं / भारतीय टीम लड़खड़ा चुकी थी / क्रिकेट के भगवान , श्रीमान सचिन जी को दुर्गति का पायजामा पहना कर श्रीलंकन टाइगर्स ने अपनी सही जगह भेज दिया था/ लेकिन अचानक उनको याद आया कि गरीबी बहुत बुरी चीज है / पेट क़ी आग कुछ भी करवा सकती है / फिर क्या था पूर्व नियोजित वादा निभाया और कप भारत क़ी झोली में डाल दिया / सबको ऐसा लग रहा था कि भारतीय शेर , श्रीलंकन चीतों को धुल धूसरित कर चुके हैं / परन्तु परदे के पीछे का खेल कुछ और था जिसका खुलाशा अभी बाकी है/ में जानता हूँ कि ये बहुत ही मुश्किल काम है क्योंकि पैसे से मुम्बईया खेल कुछ भी करा सकता है /
अब देख लीजिये, एक साल से दुर्गति करा रहे सचिन तेंदुलकर को आज भी कंपनियों ने अपना ब्रांड एम्बेसडर बना रखा है, आखिर क्यूँ? फर्जी मीडिया सर्वे , फर्जी मीडिया लोकप्रियता खिलाडियों को आशमान पर बिठाये रखती है / में स्वयं गवाह हूँ कि मैंने कई अख़बारों के ऑन लाइन सर्वे में अपने विचार भेजे जो कि एक अमुक खिलाड़ी के खिलाफ थे / मेरी राय को कंप्यूटर के सर्वर ने रिजेक्ट कर दिया / इसके तुरंत बाद जब मैंने उसी आई डी से खिलाडी के फेवर में विचार लिखा तो सर्वर ने तुरंत स्वीकार कर लिया/ इस तरह के फर्जी सर्वे से देश क़ी भोली जनता को बेवकूफ बनाना कितना जायज एवं नैतिक है इस पर विचार करने क़ी जरुरत है / मीडिया के सर्वे का मजाक ऐसा कि सारे सवाल तोड़ मरोड़ कर एक खिलाडी के फेवर में /
पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान का ये कहना अत्यंत ही प्राशंगिक है कि ” सचिन तेंडुलकर 100वें शतक को लेकर परेशान हैं। उन्होंने कहा है कि सचिन को वर्ल्डकप के बाद ही क्रिकेट से संन्यास ले लेना चाहिए था। अब वो फिजूल ही अपनी दुर्गति करवा रहे हैं। “हम सब चाहते हैं कि हमारा करियर धमाके के साथ खत्म हो, लेकिन हर काम योजना के तहत ही हो यह जरूरी नहीं है। सचिन के लिए वर्ल्डकप जीत एक बेहतरीन अवसर था अपने स्वर्णिम करियर को अलविदा कहने के लिए। विश्वकप में उनका प्रदर्शन बेहतरीन था। वो एक महान खिलाड़ी हैं,” इमरान खान ने कहा। सचिन तेंडुलकर के सौवें शतक पर इमरान खान का कहना है कि तेंडुलकर को टीम की बेहतरी के बारे में पहले सोचना चाहिए। रिकॉर्ड खेल के साथ-साथ बनते हैं। आप रिकॉर्ड बनाने के लिए नहीं खेलते। ” लेकिन इस भगवान को तो पैसे का भूत सवार है , रास्ट्रीय भावना एवं सम्मान से इनका कोई सरोकार नहीं है
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान को अभी हाल मैं ख़राब प्रदर्शन के कारण क्रिकेट टीम से निकाल दिया, जबकि उनका रिकॉर्ड भी सचिन क़ी तरह धमाके दार रहा है साथ ही वे वर्ल्ड कप विजेता भी रहे हैं / लेकिन ऐसा इसलिए हुआ कि वे एवं उनकी टीम देश के लिए खेलती है / हमारे धतुरा ब्रांड खिलाड़ी पैसे, विज्ञापन, अनैतिक राजनीति एवं स्वयं के लिए खेलते हैं/ उस समय हमारी देश भक्ति कितनी शर्मशार हुई थी जब खिलाडियों ने कहा था कि यदि भारत वर्ल्ड कप जीतता है तो वह कप सचिन को समर्पित होगा /अगर सचिन में थोड़ी भी रास्ट्रीय भावना होती तो वे स्वयं बड़प्पन दिखाते हुए कहते कि यदि इंडिया विश्व कप जीतती है तो ये कप रास्ट्र को समर्पित होगा मुझे नहीं , क्योंकि मेरा वजूद रास्ट्र से है न कि रास्ट्र का वजूद मुझ से / लेकिन पैसे के मद में डूबे लोगों को रास्ट्र कहाँ दिखता है / इसका मतलब तो यह हुआ कि सचिन देश से ऊपर हैं और देश से अलग हैं / हों भी क्यों नहीं वो तो भगवान हैं वो भारत जैसे कई देश चुटकियों मैं बना सकते हैं/ ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान इयान चैपल का कहना है, सचिन तेंडुलकर को आत्म – निरीक्षण करने की जरूरत है। ऑस्ट्रेलिया अखबार द टेलिग्राफ ने चैपल के हवाले से लिखा, “सचिन अपने अंतिम ऑस्ट्रेलिया दौरे को यादगार बना सकते थे। लेकिन वो सिर्फ निराशा में डूबकर रह गए।” चैपल ने कहा, सचिन को यह सोचने की जरूरत है कि वो अब किस लक्ष्य के साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। सचिन अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे में रन आउट होने के बाद सचिन ने ब्रेट ली द्वारा रास्ता रोके जाने को जिम्मेदार ठहराया था। तेंडुलकर ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेले सात वनडे मुकाबलों में 20.42 की औसत से 143 रन बनाए। इसमें एक भी अर्धशतक नहीं था। सचिन का यह प्रदर्शन उनके करियर औसत से बहुत कम है। सचिन ने अबतक 460 वनडे मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 48 शतक व 95 अर्धशतकों समेत 44.74 की औसत से 18254 रन बनाए हैं। परन्तु आज ऐसा लगता है कि सब कुछ बेईमानी पूर्ण था
अभी हाल मैं एक चापलूस अख़बार ने लिखा —–” पाकिस्तान ने किया कमाल, तब जाकर रैंकिंग में चमके सचिन”
पाकिस्तान की इंग्लैंड के खिलाफ 3-0 की ऐतिहासिक क्लीन स्वीप का फायदा भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर को आईसीसी की ताजा टेस्ट रैंकिंग में मिला और वह फिर से टॉप टेन बल्लेबाजों में लौट आए। सचिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की 0-4 की पराजय के बाद टॉप टेन से बाहर होकर 13वें स्थान पर पहुंच गए थे। लेकिन पाकिस्तान के इंग्लैंड को 3-0 से हराने के बाद सचिन टेस्ट रैंकिंग में संयुक्त रूप से दसवें स्थान पर पहुंच गए हैं। सचिन के साथ पाकिस्तान के अजहर अली भी इस स्थान पर मौजूद हैं।
इस खबर से आपको स्वयं अनुमान लगाना चाहिए कि हमारी रेंकिंग हमारे खेल प्रदर्शन से नहीं चमकती वल्कि इस बात से चमकती है कि कमजोर लोग कितना घटिया खेलते हैं? मीडिया का दिमागीय दिवालियापन एवं विकाऊ मुद्रा देखिये कि दुर्गति मैं से भी चापलूसी का तुर्रा निकालकर छापने मैं कोई गुरेज नहीं /
अभी हाल में राहुल द्रविड़ ने सम्मान के साथ क्रिकेट को अलविदा कहा/ उसके बाद खबर आई कि सचिन एवं लक्ष्मण भी क्रिकेट को अलविदा करने वाल है जिसमें सचिन तेंदुलकर महाशतक के तुरंत बाद संन्यास ले लेंगे को प्रमुखता दी गयी/ लेकिन उस समय हद हो गयी जब मीडिया से दूर रहकर अपने बदतर खेल प्रदर्शन एवं सन्यास के सवालों से दूर रहने वाले भगवान सचिन , तुरत फुरत मीडिया के सामने आ गए और इस बात का खंडन कर दिया कि वे सन्यास लेने वाले नहीं हैं ( एक प्रमुख अख़बार क़ी खबर)? आखिर क्यों, किसलिए? इस सबके बावजूद आप चिपके रहना क्यों चाहते हैं ? इसकी सबसे बड़ी वजह है, पैसा जो चयन समिति के लोगों को चाहिए, क्रिकेट मैं घुसे भारतीय राजनीति के परम शिखंडियों को चाहिए और ये पैसा सिर्फ एक ही खिलाड़ी दे सकता है और वह है सचिन भगवान / एक दिवषीय क्रिकेट में इन भगवान जी क़ी रेंकिंग जमीन पर आ चुकी है लेकिन अनैतिक हथकंडों से क्रिकेट एवं विज्ञापन क़ी दुनियां में चिपके रहने का हर संभव हथकंडा अपनाने से वाज नहीं आ रहे ये श्रीमान/
इन भगवान जी के ख़राब प्रदर्शन पर जब सारे पूर्व खिलाडियों ने चिल्ल पों क़ी और मीडिया को भी मज़बूरी में आलोचना को बड़े सधे हुए ढंग से छापना पड़ा तो तुरंत सचिन जी क़ी मीडिया टीम एक्टिव हो गयी और मीडिया एवं खिलाडियों को फिक्स करने का ऑपरेशन चरम पर पहुँच गया/ और फिर क्या हुआ तुरत फुरत मीडिया क़ी कलम क़ी भाषा ही बदल गयी ” सचिन में अभी बहुत क्रिकेट बाकी हैं” क्या मजाक है?
ये खबर पढ़कर आपको हंसीं नहीं तरश आयेगा कि सचिन तेंदुलकर जी एवं उनके चापलूस मीडिया भांडों पर कि ” एडिलेड. अपने महाशतक का इंतजार कर रहे सचिन तेंडुलकर एडिलेड टेस्ट में दिल खोलकर शॉट खेलेंगे। वे अतिरिक्त सावधानी और रक्षात्मक खेल को छोड़कर स्ट्रोक लगाएंगे। टीम इंडिया के सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि सचिन ने चौथे टेस्ट मैच में ‘टॉप गियर’ में बल्लेबाजी करने का फैसला किया है। टीम के सदस्य ने कहा, ‘वे इतने ज़्यादा उत्साहित हैं कि वह बस एक शतक से नहीं रुकेंगे। एक बार अगर उन्होंने यह दहलीज पार कर ली तो वे लंबी पारी खेलेंगे…आप शायद दोहरे शतक का भी उम्मीद लगा सकते हैं।”
ओह माय गोद , चापलूसी का ऐसा महा नंग नाच , ऐतिहासिक है / और फिर इस मैच में किया हुआ / अगर में स्वयं लिखूंगा तो हो सकता है कि मेरा दिल जवाब दे जाये / इसलिए आप स्वयं क्रिकेट महाकाब्य में पढ़ लें तो ज्यादा ठीक होगा उनकी दुर्गति कहानी /
आज सारा क्रिकेट प्रेमी समुदाय इस बहस में उलझा हुआ कि आखिर महाशतक कब होगा? जैसे कि इसके होते ही भारत कि गरीबी छू मंतर हो जाएगी और क्रिकेट प्रेमियों क़ी सारी मनोकामनाएं क्रिकेट का भगवान पूरी कर देगा/ लोग इस बहस में उल्झे हुए हैं कि आज यानी १२ मार्च २०११ के दिन क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ ९९ वां शतक पूरा किया था / और एक साल पूरा हो गया ‘बेड लक ‘ है कि महाशतक नहीं लग रहा / सारा क्रिकेट जगत मायूस है क्रिकेट के भगवान की इस दुर्दशा से / ” रामायण मैं लिखा है कि होनी को कौन टाल सकता है? भाग्य को कौन बदल सकता है? होईये सो वही जो राम (नहीं सचिन) रचि राखा”
भाग्य को कौन बदल सकता है तो, फिर सचिन जी कैसे बदल सकते हैं? वो भगवान हैं तो क्या हुआ? लेकिन यहाँ अहम् सवाल यह है कि यदि ‘गुड लक’ में शतक लग गया तो भाग्य ठीक हो जाता है, फार्म भी लोट आई मान ली जाती है और यदि फिसड्डी रह जाओ तो ‘बेड लक’ हो जाता है / जब सारा खेल गुड लक और बेड लक का ही है तो फिर खिलाडी क्या करता है ? इनको इतना सारा पैसा सिर्फ गुड लक और बेड लक के आधार पर मिलता है या फिर उनकी खेल प्रतिभा पर/ क्या भारतीय क्रिकेट कुछ खिलाडियों क़ी वंशानुगत जागीर है? मीडिया प्रबंधन का इतना दुर्पयोग किस लिए? जब एक खिलाड़ी को उसकी ख़राब पर्फोर्मंस के आधार पर ब्रेक दे दिया तो दूसरे को क्यों नहीं? क्योंकि चयन समिति को भी पैसे क़ी जरुरत है/ और एक खिलाड़ी पर सारा अनैतिक पैसा लगा हुआ है?……
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